Saturday, November 29, 2008

अन्न- ब्रह्म


अन्न बजे और अन्न बजावै ।
अन्न ही सारे नाच दिखावै ।

पलना, लोरी कहने भर को
अन्न ही सोवै, अन्न सुलावै ।

माया की बदनामी झूठी
अन्न ही दुनिया को भरमावै ।

कम्प्यूटर टी.वी.दिखलाकर
काहे भूखों को भरमावै ।

अन्न मिले तो गाना सूझे
अन्न बिना कुछ भी ना भावे ।

अन्न बिना सब शोर-शराबा
अन्न ब्रह्म ही अनहद गावै ।

१८ फ़रवरी २००१

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And here is an approximate translation -

Food is God

Food sings, food is making you sing
Food is on which the show is running

The crib, lullaby are just name deep
Food sleeps, food makes you sleep

Maya wrongly gets the criticism
Food is what causes the illusion

Showing the computer or the TV
Why do you mislead the hungry

After food, you think of music
Without food, you just feel sick

Without food all is cacophony
Food makes music without touching


(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi

2 comments:

श्यामल सुमन said...

अन्न खुशी है अन्न प्राण है अन्न चलाता जीवन।
जो किसान उपजाये अन्न को वो ही प्राण गँवाये।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

Dr. Amar Jyoti said...

बहुत सुन्दर। नागार्जुन की याद ताज़ा कर दी।
बधाई।