ख़त लिख दे साँवरिया के नाम बाबू |
वो कहते थे कर देंगे काम बाबू |
कोई भी शासन हो 'लाला' फलेंगे
इनका पक्का है सब इंतज़ाम बाबू |
जो राजा थे, राजा हैं, राजा रहेंगे
और अपने को रहना अवाम बाबू |
हमको तो नियमों में बाँधोगे लेकिन
कौन नेता को डाले लगाम बाबू |
वे महलों में रहकर भी मौसम से डरते
नींद अपनी क्यों जाने हराम बाबू |
कहते हैं 'जनता' अब दिल्ली में रहती
मुझे तू ही बता मेरा नम बाबू |
८-दिसम्बर-१९७५
बतर्ज़ - ख़त लिख दे सांवरिया के नाम बाबू - फ़िल्म आए दिन बहार के, आशा भोंसले
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.
http://joshikavi.blogspot.com
वो कहते थे कर देंगे काम बाबू |
कोई भी शासन हो 'लाला' फलेंगे
इनका पक्का है सब इंतज़ाम बाबू |
जो राजा थे, राजा हैं, राजा रहेंगे
और अपने को रहना अवाम बाबू |
हमको तो नियमों में बाँधोगे लेकिन
कौन नेता को डाले लगाम बाबू |
वे महलों में रहकर भी मौसम से डरते
नींद अपनी क्यों जाने हराम बाबू |
कहते हैं 'जनता' अब दिल्ली में रहती
मुझे तू ही बता मेरा नम बाबू |
८-दिसम्बर-१९७५
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3 comments:
अच्छी रचना है। बधाई। कहते हैं कि-
लोग कहते हैं जनता का शासन भी है।
मगर जनता हुई क्यों नाकाम बाबू।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
वे महलों में रहकर भी मौसम से डरते
नींद अपनी क्यों जाने हराम बाबू |
कहते हैं 'जनता' अब दिल्ली में रहती
मुझे तू ही बता मेरा नम बाबू |
वाह बहुत खूब
श्यामल-जी शोभा-जी, रचनाएँ आपको पसंद आयी, शुक्रिया
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