Thursday, November 27, 2008
घोडा और लगाम
क्या रखा है काम में ।
जो कुछ है सो नाम में ।
भूख और सूखा बैठे हैं
खेत और खलिहान में ।
बल्ब जलें, फ़व्वारे चलते
नेताजी के लान में ।
मेहनत करने वाले भूखे
चुपड़ी मिले हराम में ।
असली कामों में कंजूसी
खर्चा झूठी शान में ।
नहीं पाँच पल जनता आती
कभी किसीके ध्यान में
पूरे पाँच बरस ही उनके
पाँच साल के प्लान में ।
जनता से उनका रिश्ता जो
घोड़े और लगाम में ।
हज सब्सीडी, गोली मिलती
अमरनाथ के धाम में ।
सुरा, सुन्दरी, भजन, प्रसादी
सब कुछ है दूकान में ।
१७ फ़रवरी २००१
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And here is an approximate translation -
Whip and Horse
In work there is no fame?
It is just all in the name!
Only famines and droughts
In fields and warehouses
Lawn sprinklers and fancy lights
Adorn the lushes of the elites.
Hard workers only get hunger
Corrput ones have it buttered
In real matters, very stingy
In showing off, all splurgy
Not even for five minutes
About People, do they think
Only the five years are
In the five year plans (Are not farsighted)
Their relation with the mass
That of the whip and the horse
Hajj subsidy! Bullets on the path
In the pilgrimage of Amarnath!
Wine, women, prayer, holy offering
Everything in one place for shopping!
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi
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पुस्तक - बेगाने मौसम
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