Tuesday, November 25, 2008

एक अनजानी सदी


एक तूफ़ानी नदी है, और हम ।
एक अनजानी सदी है, और हम ।

अब अकेलापन कहाँ तुम ही कहो
साथ में यह बेखुदी है, और हम ।

हों नहीं, तो भी रहेंगे हम सदा
यह यकीं सौ फीसदी है, और हम ।

देखकर खाता बही अब क्या करें
जमा में केवल बदी है, और हम ।

शांत है तूफ़ान, मौसम ठीक पर
नाव पत्थर से लदी है, और हम ।

२ जनवरी २००१

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
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2 comments:

Anonymous said...

bahut khub

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया.