Thursday, November 20, 2008

दुनिया इतनी बुरी नहीं है


दो बातें दो पल कर देखो |
साथ हमारे चल कर देखो |

दुनिया इतनी बुरी नहीं है
ख़ुद से ज़रा निकल कर देखो |

जीवन का मतलब समझोगे
किसी लक्ष्य में ढल कर देखो |

जलने में भी बड़ा मज़ा है
सूरज जैसे जल कर देखो |

धरती-अम्बर का रिश्ता है
बादल के संग गलकर देखो |

वो रूठे हैं मन जायेंगे
तुम ही तनिक पहल कर देखो |


१८-दिसम्बर-१९९४

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2 comments:

Dr. Amar Jyoti said...

शानदार! हर शैर जैसे एक-एक मोती है।
बधाई।

शोभा said...

जीवन का मतलब समझोगे
किसी लक्ष्य में ढल कर देखो |

जलने में भी बड़ा मज़ा है
सूरज जैसे जल कर देखो |
सीधी और सच्ची बात।