Monday, November 3, 2008
प्रश्न
बचकर मेरी नज़र से निकले
तो क्यूँ आप इधर से निकले
गाँव समेटा शहर आगये
जाएँ कहाँ शहर से निकले
प्रश्न उठ रहे जब अन्दर से
कैसे हल बाहर से निकले
शाम ढले थककर घर लौटे
कहाँ रुकें जो घर से निकले
वे तो मन में कहीं नहीं थे
जो संकेत ख़बर से निकले
जात पाँत में भटक जायेंगे
'गर मस्जिद -मन्दिर से निकले
२५-५-९५
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पुस्तक - बेगाने मौसम
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