Wednesday, November 26, 2008

वातानुकूलन


आपका पूरा प्रदर्शन हो गया है |
हर जगह पर दूरदर्शन हो गया है |

अब न बदलेंगे यहाँ मौसम कभी
मुल्क का वातालूकुलन हो गया है |

खिलखिलाती कुर्सियाँ आयोजनों में
लोकमत निर्बल निवेदन हो गया है |

वंश बढ़ता जा रहा है लम्पटों का
सत्य का जबरन नियोजन हो गया है |

आइये अब तो करें बातें हृदय की
देह का सम्पूर्ण शोषण हो गया है |

कांपती है एक बूढी झोंपडी
आज मलयानिल प्रभंजन हो गया है |

६-मार्च-१९७९

पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)

-----
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.
http://joshikavi.blogspot.com

1 comment:

shashi said...

वंश बढ़ता जा रहा है लम्पटों का
सत्य का जबरन नियोजन हो गया है |

अति सुंदर!