Sunday, November 23, 2008
वे ही नावें
सबका खस्ता हाल वही ।
वो ही रोटी, दाल वही ।
जिससे आँख चुराते थे
पूछे रोज सवाल वही ।
बस मछुवारे बदले हैं
वो ही मछली, जाल वही ।
उनके घर हलवा पूड़ी
अपने यहाँ अकाल वही ।
सभी परिंदे सहमे-सहमे
वैसे बरगद, डाल वही ।
तूफाँ कल से ज़्यादा है
वे ही नावें, पाल वही ।
३ दिसम्बर २०००
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And here is an approximate translation -
Same boats
everyone is doing bad, same old
same old bread, same old daal
whom we try to avoid
(s/he) asks questions daily
just the fishermen have changed
same fish, same fishing net
big feast at their place
at ours, same old famine
all birds are scared
same banyan tree, same branches
storms are worse than yesterday
same old boats, same old sails
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi
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2 comments:
बहुत ही सही,सार्थक व बढिया रचना है।्बधाई।
धन्यवाद
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