Friday, November 28, 2008
बाजीगरी
क़ैद में निर्दोष अपराधी बरी है |
आपके इंसाफ़ की बाजीगरी है |
तीर उनके चल रहे हैं हर तरफ़ से
पास अपने बस पुरानी मसहरी है |
द्वार कोई खुल न पाता आदमी से
और रोशन आपकी बारादरी है |
दीखता जो द्वार ,है दीवार वो तो
यह महल श्रीमान की कारीगरी है |
रोशनी पर हो गए इल्ज़ाम आयद
यह अँधेरों की पुरानी मुखबरी है |
दावते-इफ्तार वो भी आपके संग
यह हमारे साथ कैसी मसखरी है|
२२ फरवरी १९९६
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पुस्तक - बेगाने मौसम
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1 comment:
good janab. narayan narayan
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