Saturday, November 15, 2008
सभी कुछ प्यार में
ज़हर फैला हो जहाँ परिवेश में |
किस तरह कोई जिए उस देश में |
जिंदगी तुमसे शिकायत है यही
मौत आती है तुम्हारे वेश में |
यातना की बात मुझसे मत करो
सत्य कह दूँगा कहीं आवेश में |
कर रहे हैं वे सभी कुछ प्यार में
राम जाने क्या करेंगे द्वेष में |
भाज्य में ही शून्य जब रक्खा गया
सोच लो फिर क्या बचेगा शेष में
२५ फरवरी १९९६
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And here is an approximate translation -
All in love
Where poison is in the atmosphere
How does one live in there?
Life, only complain with you is that
Death comes in your disguise |
Don't talk about the tortures to me
I might say the truth in provocation |
They are doing this 'all in love'
God knows what they will do in hate |
When the divisor itself is zero
What is left in the quotient ?
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi
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पुस्तक - बेगाने मौसम
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2 comments:
बहुत सुन्दर। चौथे शे'र के पहले मिसरे को ज़रा एक बार फिर देख लें। कुछ कमी सी लगती है।
धन्यवाद | टाइपिंग में कुछ छुट गया था|
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