Wednesday, November 12, 2008
सिर्फ़ प्रयास
जब तक तेरे पास रहे |
एक सुखद एहसास रहे |
मुस्काते ही आँसू आए
महफ़िल में उपहास रहे |
मन में अम्बर का सपना ले
पैर तले की घास रहे |
जब-जब हँसने का मौसम था
तब-तब और उदास रहे |
माँ कहती थी राजा बेटा
मगर सदा वनवास रहे |
पूरण काम हुए होंगे वे
हम तो सिर्फ़ प्रयास रहे |
८-जनवरी-१९९५
पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)
-----
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.
http://joshikavi.blogspot.com
Labels:
book - begAne mausam,
ghazal,
hindi,
poem,
पुस्तक - बेगाने मौसम
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
bahut badhiyaa!!
Post a Comment