Monday, May 11, 2009
हलचल है भूचालों में
जब से तेरे ख्यालों में ।
घेरें लोग सवालों में ॥
तिनके चार क्या रखे हमने
हलचल है भूचालों में ॥
अंधियारे में घबराता वो
सहमे तेज उजालों में ॥
एक झोंपडी पर कब्जे को
झगड़ा महलों वालों में ॥
सहमा-सहमा घर का मालिक
जब से है रखवालों में ॥
दिल में दुनियादारी रखकर
भटकें लोग शिवालों में ॥
३ अप्रेल २००५
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi
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पुस्तक - बेगाने मौसम
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2 comments:
joshi ji ,gazab ki gazalen kah rahe hain , bahut bahut badhai.
एक झोंपडी पर कब्जे को
झगड़ा महलों वालों में ॥
वाह क्या बात है सुन्दर शेर, खूबसूरत गजल
आपका वीनस केसरी
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