उसकी बात
आओ उसकी बात करें ।
दिन सी उजली रात करें ॥
हमसे तुमसे ही दुनिया
हमीं सुने औ' हमीं कहें ॥
जो सब की आँखों का हो
ऐसा कोई ख्वाब बुनें ॥
एक आशियाना ऐसा हो
जिसमें सारा जग रह ले ॥
थोड़ी सी तो उमर बची
जल्दी से कहलें, सुनलें ॥
९ जुलाई २००५
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi
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