सरमाया
वो मेरे घर आया है ।
बहुत बड़ा सरमाया है ॥
मैनें कोई बात न पूछी
वो फिर क्यों शरमाया है ॥
मौसम बीत गया तो क्या, वो
अपना मौसम लाया है ॥
सूखा फूल किताबों से उठ
आँखों में मुस्काया है ॥
कल को सच हो जायेगा
आज जो सपना आया है ॥
२ अप्रेल २००५
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi
2 comments:
behtareen rachna. wah. badhai sweekaren.
एक सकारात्मक उत्साही सोच:
सूखा फूल किताबों से उठ
आँखों में मुस्काया है ॥
कल को सच हो जायेगा
आज जो सपना आया है ॥
बहुत सुन्दर. बधाई.
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