Tuesday, May 12, 2009
मुश्किल
बिना बुलाए जाना मुश्किल ।
बिना गए रह पाना मुश्किल ॥
दुनिया को बहलाना आसाँ
पर ख़ुद को समझाना मुश्किल ॥
बिन बोले सब बात समझते
उनसे कोई बहाना मुश्किल ॥
उनको दर्द बताना मुश्किल
औ' चुप भी रह पाना मुश्किल ॥
सबसे आँख चुरालें लेकिन
ख़ुद से आँख मिलाना मुश्किल ॥
उसका घर भी इसी गली में
मेरा आना जाना मुश्किल ॥
२ अप्रेल २००५
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi
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पुस्तक - बेगाने मौसम
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3 comments:
kya baat hai joshi ji, aapki gazalon men aapka lamba anubhav jhalakta hai, tareef ko shabd kam pad rahe hain. dheron badhai.
धन्यवाद
दुनिया को बहलाना आसाँ
पर ख़ुद को समझाना मुश्किल ॥
--बिल्कुल सत्य...बेहतरीन रचना!!
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