2006-06-05
आँधी, वर्षा, तूफाँ सब कुछ
झेल गए हँसते-हँसते
शायद उनके वादों पर था
शायद उनके वादों पर था
हमको ही विश्वास बहुत|
प्रथम किरण से गोधूली तक
प्रथम किरण से गोधूली तक
कहाँ-कहाँ उड़ते फिरते
परवाज़ें थीं बहुत बड़ी और
परवाज़ें थीं बहुत बड़ी और
छोटा था आकाश बहुत|
रुपया, पैसा, कपड़ा ,लत्ता
रुपया, पैसा, कपड़ा ,लत्ता
गाड़ी, बंगला सब तो है
क्या बतलाएँ किसकी ख़ातिर
क्या बतलाएँ किसकी ख़ातिर
हम हैं आज उदास बहुत|
साक़ी, सागर, मीना सब थे
साक़ी, सागर, मीना सब थे
उनकी महफ़िल में लेकिन
हमने अपना खून पी लिया
हमने अपना खून पी लिया
क्या करते थी प्यास बहुत|
५-जून-२०००
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi
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1 comment:
अच्छे शेर हैं, बधाई!
दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ...
दीवाली आप और आप के परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि लाए।
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