Saturday, October 25, 2008

अमरीका 'कान्हा' हुआ, 'गोपी' पिछड़े देश

अमरीका 'कान्हा' हुआ, 'गोपी' पिछड़े देश |
विश्व-बैंक-तरु पर चढ़ा, चोरी करके ड्रेस |
चोरी करके ड्रेस, गोपियाँ हा-हा खातीं |
ऋण के जल से बाहर आने से घबरातीं |
कह जोशी कविराय, 'उघाड़ीकरण' हो गया |
मुक्त-व्यवस्था-यमुना-तट पट-हरण हो गया ||

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And here is an approximate translation -
america is 'krishna', all developing countries - 'gopi'es|
has climbed the tree of world bank, having stolen the dress |
having stolen the dress, the gopies crying out loud |
they are scared to come out of the waters of debt |
so says joshi kavi, 'undressing' has happened |
on the banks of the free market yamuna, 'unveiling' has happened!

(reference to world bank, WTO, exploitation of developing countries, krishna's stealing the dresses of gopies)


(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi

2 comments:

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " said...

अम्रेरीका डूबा स्वयं,लिया हमें भी साथ.
अर्थ कर गया अनर्थ सब,बिगङी सारी बात.
बिगङी सारी बात,धर्म को भूल के हमने.
स्वयं बिगाङे लोक और परलोक भी हमने.
कह साधक कवि,सोचो क्यूँ बन गये अजूबा.
लिया हमे भी साथ,देख अमरीका डूबा.

joshi kavirai said...

साधक जी, आपकी रचना भी बड़ी सटीक है | दीपावली की शुभकामनाएं |