Tuesday, February 10, 2009

मोम का दिल


सामने जब आइना होगा ।
मुश्किलों से सामना होगा ।

ढूँढती थी मंजिलें हमको
आपने शायद सुना होगा ।

आग का जिस में बसेरा है
मोम का वो दिल बना होगा ।

आप थोड़ी देर को हैं साथ
मन बहुत फिर अनमना होगा ।

छोड़ आए आशियाँ अपना
उम्र भर अब आसमां होगा ।

१६ अगस्त २००४

पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)


(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi

6 comments:

प्रताप नारायण सिंह (Pratap Narayan Singh) said...

आप थोड़ी देर को हैं साथ
मन बहुत फिर अनमना होगा ।
बड़ी सुंदर लगी यह पंक्ति...कुछ याद भी आ गया-- हर मुलाकात का अंजाम जुदाई क्यों है?

महेन्द्र मिश्र said...

बड़ी सुंदर

joshi kavirai said...

gazal pasand ayii. dhanyawad. gadya ka bhii ek blog hai dekhen . ramash joshi

दर्पण साह said...
This comment has been removed by the author.
दर्पण साह said...

छोड़ आए आशियाँ अपना
उम्र भर अब आसमां होगा ।


adbhoot Apke fan ho gaye. Dhanvyaad badal ji apke wajah se is blog main ja paaya!!

ek meri taraf se....

Udaano ne fir, pinjrey main,
sapna ufak ka buna hoga....

joshi kavirai said...

priy darpan
kya aise kiya ja sakata hai-

band pinzare men udanon ne

khwab ambar ka buna hoga


ramesh joshi