Monday, February 9, 2009
ख़ुद ही रस्ता भूल गए हैं
मेरा साथ निभाने वाले ।
निकले दिल बहलाने वाले ॥
पहले अपनी जान बचालें
मेरी जान बचाने वाले ।
थोड़े दिन ही जम पाते हैं
केवल रंग जमाने वाले ।
अन्दर से कमजोर बहुत हैं
ऊँचे घर तहखाने वाले ।
ख़ुद ही रस्ता भूल गए हैं
मुझको राह दिखाने वाले ।
पहले ख़ुद से आँख मिलालें
मुझसे आँख मिलाने वाले ।
२३ सितम्बर २००४
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi
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पुस्तक - बेगाने मौसम
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3 comments:
वाह !!!! आनंद आ गया.
धन्यवाद
bhaI pratap, tumhara blog dekha. badii mehanat kar rahe . likhane ko dimag men masala bhii hai aur ichchha bhii. bhagawan shoharat pradan karen .
ramesh joshi
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