मोम का दिल
सामने जब आइना होगा ।
मुश्किलों से सामना होगा ।
ढूँढती थी मंजिलें हमको
आपने शायद सुना होगा ।
आग का जिस में बसेरा है
मोम का वो दिल बना होगा ।
आप थोड़ी देर को हैं साथ
मन बहुत फिर अनमना होगा ।
छोड़ आए आशियाँ अपना
उम्र भर अब आसमां होगा ।
१६ अगस्त २००४
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
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6 comments:
आप थोड़ी देर को हैं साथ
मन बहुत फिर अनमना होगा ।
बड़ी सुंदर लगी यह पंक्ति...कुछ याद भी आ गया-- हर मुलाकात का अंजाम जुदाई क्यों है?
बड़ी सुंदर
gazal pasand ayii. dhanyawad. gadya ka bhii ek blog hai dekhen . ramash joshi
छोड़ आए आशियाँ अपना
उम्र भर अब आसमां होगा ।
adbhoot Apke fan ho gaye. Dhanvyaad badal ji apke wajah se is blog main ja paaya!!
ek meri taraf se....
Udaano ne fir, pinjrey main,
sapna ufak ka buna hoga....
priy darpan
kya aise kiya ja sakata hai-
band pinzare men udanon ne
khwab ambar ka buna hoga
ramesh joshi
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