Thursday, February 12, 2009

जनता तो रस्ते का बूँटा


राम नाम की लूट, फील गुड ।
लूट सके तो लूट, फील गुड ॥

हमें रिटायर करें साठ पर
नेतागिरी अटूट, फीलगुड ।

मुसलमान, अँगरेज़ थक गए
अपने डालें फूट, फील गुड ।

क्या पढ़ना ऎसी चिट्ठी को
फटी हुई है कूंट, फील गुड ।

जनता तो रस्ते का बूँटा
जितना चाहे चूँट, फील गुड ।

यात्री सुविधा वर्ष वहाँ है
अपनी टाँग भरूंट,फील गुड ।

१५ फरवरी २००४

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2 comments:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

मुसलमान, अँगरेज़ थक गए
अपने डालें फूट, फील गुड ।
फील गुड

Prakash Badal said...

बहुत ही खूबसूरत और नए अंदाज़ में की गई अभिव्यक्ति। बधाई आपको।