Thursday, December 18, 2008

आप



यूँ तो चाँद सितारे आप ।
लेकिन नहीं हमारे आप ।

घर के भीतर भी डर लगता
जब से हैं रखवारे आप ।

हम तो सिकर दुपहरी झेलें
दिखते साँझ सकारे आप ।

कौन सहारा बने आपका
किसके बने सहारे आप ।

पानी गुज़र गया सर से है
बैठे रहे किनारे आप ।

२ फरवरी २००१

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And here is an approximate translation -

You

Like the moon you shine
But you are not mine

It is scary even inside the home
Ever since guard you have become

We bear the torture of high noon
You are cool as the evening moon

Who can be you support?
Have YOU been anyone's support?

Above (our) heads, the water flows
But you sit pretty on the shores


(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi

2 comments:

Pramendra Pratap Singh said...

कम पक्तिंयों में सुन्‍दर भाव
महाशक्ति

Prakash Badal said...

बेहतर ग़ज़ल और सीधे शब्दों में। आपने सेवानिवृत्ति के बाद जो साहित्य में विशेष रुचि दिखाई है वो बेहद ऊर्जा प्रदान करने वाला कदम है उन लोगों के लिए जो हार मान कर चुप चाप बठ जाते है। आपकी ये रचना मुझे बेहद प्रभाव शाली लगी और उम्मीद है कि आप की और बढिया रचनाएं पढ़ने को मिलेगी।

सादर
प्रकाश