उतना जलना दीपक को
हर हालत में साथ चलें |
ले हाथों में हाथ चलें |
ऎसी कोई बात बने
जिसकी सदियों बात चले|
उतना जलना दीपक को
जितनी लम्बी रात चले|
बंद न हो संवाद कभी
चाहे लाख विवाद चले|
कभी नहीं तन्हा थे हम
साथ तुम्हारी याद चले|
१६ अप्रेल २०००
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4 comments:
.wordpress.com/bahut hi badhiya
कभी नहीं तन्हा थे हम
साथ तुम्हारी याद चले|
सुन्दर। कहते हैं कि-
खुशबू तेरे बदन की मेरे साथ साथ है।
कह दो जरा हवा से तन्हा नहीं हूँ मैं।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
उतना जलना दीपक को
जितनी लम्बी रात चले|
बंद न हो संवाद कभी
चाहे लाख विवाद चले
बहुत अच्छी रचना। बधाई
बहुत उम्दा, जोशी जी!! वाह!!
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