Wednesday, December 3, 2008

लड़कियाँ


फूल तितली का उपमान हैं लड़कियाँ ।
एक में दो-दो उपमान हैं लड़कियाँ ।

जिसने देखा वही बिद्ध होकर गिरा
एक उड़ता हुआ बाण हैं लड़कियाँ ।

सास भी है बहू औ' बहू सास है
ख़ुद ही ख़ुद से परेशान हैं लड़कियाँ ।

तीर भी है वही औ' वही बाण है
ख़ुद पे ख़ुद का ही संधान हैं लड़कियाँ ।

बनती बेटी, बहिन और प्रेयसी कभी
नित नया एक अरमान हैं लड़कियाँ ।

देखती हैं शीशा वे हरेक कोण से
ख़ुद में ही एक घमासान हैं लड़कियाँ ।

इनको रखिये बचा कर के हर हाल में
आप हम सब का अरमान हैं लड़कियाँ ।

२२ जून २००१

पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)


(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी | प्रकाशित या प्रकाशनाधीन |
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi

1 comment:

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

जोशी जी,
अच्छी रचना है आपकी । गजल पर मैने भी एक लेख िलखा है । समय हो तो उसे पढें और अपनी राय भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com