Monday, December 8, 2008

सबकी ख़बर


इतनी संकरी डगर है मियाँ |
दो का मुश्किल गुज़र है मियां |

एक हो जायँ  दिल-जान  से
काफ़ी लम्बी डगर है मियाँ

जाम दो तो सलीके से दो
वरना म 'अ क्या, ज़हर है मियाँ |

यूँ तो कहने को हर चीज़ है
पर कहीं कुछ कसर है मियाँ |

चुप भली है भरम के लिए
वरना सबकी ख़बर है मियाँ |

लोग हर हाल में मस्त हैं
इक हमीं पर कहर है मियाँ |

सिर्फ़ वो ही नहीं सुन रहे
शे'र जिनके लिए है मियाँ |

३ अगस्त १९९५

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2 comments:

Anonymous said...

जोशी कविराय जी, पता नहीं मेरे लिये ये शेर थे कि नहीं लेकिन हमने पढ़ लिये और आनंदित हुये।

Anonymous said...

चुप भली है भरम के लिए
वरना सबकी ख़बर है मियाँ |

लोग हर हाल में मस्त हैं
इक हमीं पर कहर है मियाँ
bahut badhiya