Monday, November 15, 2010

सेवक या राजा


( २-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में फँसे राजा- ११-११-२०१० )

सेवक श्रम करता नहीं, राजा करे न कष्ट ।
भूखे ही रह जाएँगे अगर नहीं हों भ्रष्ट ।
अगर नहीं हों भ्रष्ट, मिले दो रोटी सूखी ।
लगे तड़पने आत्मा काजू-व्हिस्की-भूखी ।
कह जोशी कविराय देश का बजना बाजा ।
फिर चाहे आए कोई सेवक या राजा ।

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( सोनिया गाँधी के बारे में सुदर्शन की टिप्पणी-१०-११-१० )

कोई भी करता नहीं कोई ढंग की बात |
पाँव कब्र में पड़े हैं फिर भी घूँसा-लात |
फिर भी घूँसा-लात, जीभ से तीर चलाएँ |
लटपट बूढ़ी जीभ किसी को कुछ कह जाएँ |
कह जोशी कविराय नाम है भले सुदर्शन |
मगर हो रहा शब्दों से तो तुच्छ प्रदर्शन |


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi

1 comment:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सटीक कहा है ..कुंडली छंद में रचना अच्छी लगी