सितम्बर में अयोध्या राम-जन्मभूमि पर कोर्ट का निर्णय आएगा । उससे पहले ही हम कुछ हल अपनी तरफ से दे रहे हैं । प्रकाशनाधीन पुस्तक 'अपनी-अपनी लंका' से -
२२८ मंदिर-मस्जिद विवाद
ख़ास जगह से जोड़ कर, ईश्वर का सम्बन्ध ।
अपनी नेतागिरी का, दोनों करें प्रबंध ।
दोनों करें प्रबंध, धर्म का जोश दिलाएँ ।
भोले-भाले भक्त, लट्ठ लेकर भिड़ जाएँ ।
कह जोशी कवि साथ न संभव, दोनों सरको ।
क्यों कट्टर बन फूँक रहे हो अपने घर को ।
२२९ मंदिर-मस्जिद-विवाद : नई योजना
सब झगड़े मिट जायेंगे, हो जायेगा काम ।
रामल्ला में जब बसें, सँग-सँग अल्ला-राम ।
सँग-सँग अल्ला-राम, मिलें मुल्ला औ' पंडित ।
औ' वहीं ले जायँ, विवादित ढाँचा खंडित ।
कह जोशी कविराय, छोड़ कर सब झगड़ा-ज़िद ।
वहीं बनाएँ पास-पास में मंदिर-मस्जिद ।
२३० मंदिर-मस्जिद-विवाद : अपने-अपने स्वप्न
उनके ख़्वाबों में खुदा, इनके सपने राम ।
दोनों के चलते हुई, सबकी नींद हराम ।
सबकी नींद हराम, स्वप्न हमको भी आते ।
पर उनमें हैं रोटी-पानी, रिश्ते-नाते ।
कह जोशी कविराय, भावना जिसकी जैसी ।
सपनें में भी चीज़, दिखाई देती वैसी ।
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi
1 comment:
बहुत सटीक बात कह रहे हैं आप !
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