Tuesday, March 30, 2010

सीमा-सुरक्षा


1. सीमा-सुरक्षा
(पिछले दो दशकों में चीन ने भारत की बहुत सी ज़मीन हथियाई- एक रिपोर्ट, ११-१-२०१०)

पंद्रह फुट का शेड है, छः फुट की दूकान ।
तिस पर सड़कों पर रखा लाला का सामान ।
लाला का सामान, जहाँ पर भी ये जाएँ ।
धड़ से चार गुनी अपनी टाँगें फैलाएँ ।
जोशी चीनी सीमा पर यदि इन्हें बसा दें ।
तो ये ल्हासा तक अपनी दूकान लगा दें ।


2. ग्लोबल वार्मिंग
(उत्तर भारत में कड़ाके की ठण्ड-१२-१-२०१०)

वे ग्लोबल वार्मिंग कहें, हमें लग रही ठण्ड ।
यह वैज्ञानिक तथ्य है या कोई पाखंड ।
या कोई पाखंड, फेक्ट्री नहीं लगाएँ ।
ठीक पुरानी करने की तकनीक ले जाएँ ।
जोशी तो फिर कैसे अपना काम चलेगा ।
फ़िक्र नहीं, सब योरप-अमरीका भेजेगा ।


3. चिक-चिक करके
(महँगाई पर सोनिया चिंतित- २१-१-२०१०)

काम करो ना करो पर करो काम की फ़िक्र ।
फ़िक्र करो ना करो पर करो फ़िक्र का ज़िक्र ।
करो फ़िक्र का ज़िक्र, बढ़े जनता की हिम्मत ।
औ' लग जाए आस, घटेगी अब तो कीमत ।
जोशी सहते-सहते जनता सह जाएगी ।
थोड़े दिन चिक-चिक करके फिर रह जाएगी ।


4. राम की सीमा
(इंदौर में तम्बुओं में भाजपा का अधिवेशन- १८-२-२०१०)

मंदिर तक सीमित हुए पुरुषोत्तम श्री राम ।
आदर्शों के राम से नहीं किसी को काम ।
नहीं किसी को काम, यहाँ तम्बू थे ए.सी. ।
ऐसे करते महँगाई की ऐसी-तैसी ।
कह जोशी कविराय हमारी हालत पतली ।
आप खा रहे अधिवेशन में भुट्टा-इमली ।

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi

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