(सन्दर्भ: नया बजट-२०११-२०१२, साबुन, टीवी, फ्रिज सस्ते)
आरे बेटा सुन,
सस्ता हो गया अब साबुन ।
खूब लगा ले, दाग मिटा ले,
धुल जाएँगे करतब काले,
तेरी उजली छवि के कारण
शायद जनता फिर ले चुन ।
आरे बेटा सुन
सस्ता हो गया अब साबुन ।
साबुन मल के, उजला बन के,
सस्ता टी.वी. देखो तन के,
खाली फ्रिज को देख-देख के
खाने की खातिर सिर धुन ।
आरे बेटा सुन
सस्ता हो गया अब साबुन ।
यह विकास की चादर मैली,
जनता झोली, नेता थैली,
सिर औ’ पैर सभी के ढक दे
ऐसी कोई चादर बुन ।
आरे बेटा सुन
सस्ता हो गया अब साबुन ।
२८-२-२०११
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Joshi Kavi
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